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इलायची (वर्ग- कर्पूरादि वर्ग:)
वानस्पतिक नाम:- Elettaria Cardamomum Maton(इलेट्टेरिया कार्डेमोमम्)
कुल:- Zingiberaceae
सामान्य नाम:-
संस्कृत- सुक्ष्मा, द्राविडी, त्रुटि, सूक्ष्मैला
हिन्दी- छोटी इलायची, गुजराती इलायची
अंग्रेजी- Cardamom fruit (कार्डेमोमम फ्रूट)
स्वरूप :- यह पश्चिम तथा दक्षिण भारत, कनारा,मैसूर, ट्रांवकोर कोचीन में आद्र पहाङी जंगलो में उत्पन्न होती है। यह वर्मा के जंगल में भी उत्पन्न होती हैं। इसका क्षुप अदरक के क्षुप के समान तथा बहुवर्षायु होता है। इसका जङ मोटा तथा मंसाल और अनुप्रस्थ फैला हुआ रहता है। इसके पत्ते 30-60 सेमी लंबे, 7.5-8.5 सेमी चौड़े आयताकार तथा कोषकार होते हैं। पुष्प व्यूहो में तथा किंचित नील लोहिताभ वर्णयुक्त छोटे-छोटे होते हैं। पंखडियो के ओष्ठ श्वेत होते हैं। इसके जो फल हल्के पीले या हरिताभ पीत रङ्ग के 1से 2 सेमी लम्बे अण्डाकार, बड़े फल कुछ तिकोने, 3 कोषवाले अनेक महीन खड़ी धारियों से युक्त सामान्य स्फोटी फल होते हैं।
औषधीय विवरण:-
(1) गुण- लघु, रूक्ष
(2) रस- कटु, मधुर
(3) वीर्य– शीतवीर्य
(4) विपाक- कटु
(5) प्रभाव- वातनाशक
(6) मात्रा- 0.5-1 kg
(7)प्रयोज्य अंग- बीज
प्रयोग:-
(1) प्रतिदिन इसे चाय बनाते समय उपयोग में ले सकते हैं।
(2) मुख का दुर्गन्ध दूर करने में ।
(3) इसका उपयोग- कफ, श्वास, कास,अर्श (बवासीर) और मुत्रकच्छ इन सभी रोगों को दूर करने वाली होती है।
जड़ीबूटी के द्रव्यगुन जानकारी पुनर्नवा , अमलतास, तेजपता, भांग इत्यादि