भांग ,गाँजा के द्रव्यगुण जानकारी
वनस्पतिक नाम:-Cannabis sativa ( कैनेबिस सैटाइवा)
कुल:-Cannabinaceae (कैनेबिनेसी)
सामान्य नाम:-
संस्कृत:- भग्डा,गञ्जा,मातुलानी,मालिनी,विजया
हिंदी:- भंग,बूटी ,BHANG
अंग्रेजी:- Indian hemp (इंडियन हेम्प) Marijuana
स्वरूप :-इसका 1 से 3 मी. ऊँचा, सीधा, रालीय,रोमश गन्धयुक्त, वर्षायु,एकलिंगी शाकीय क्षुप होता है। इसकी शाखाएँ पतली, कोमल तथा हरे रंग की होती हैं। इसके पत्र सरल, एकांतर, नीम के पत्र जैसे कंगूरेहार होते हैं।
जानकारी:-
1- भांग के नर पौधों के पत्रों को सुखाकर भांग ।
2- मादा पौधों की रालीय पुष्प मंजरियों को सुखाकर गांजा तैयार होता है।
3- इनके शाखाओं और पत्रों पर जमे राल सदृश पदार्थ को चरस कहते हैं। ये मुख्यतः उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार में प्रचुरता से पाए जाते हैं।
औषधीय विवरण :-
गुण:-लघु, तीक्ष्ण
रस:-तिक्त
वीर्य :-उष्ण
विपाक:-कटु
प्रभाव:-वातकफ संतुलन
प्रयोज्य अंग:-शुष्क पत्र, पुष्पित प्ररोह, रालीय पदार्थ
मात्रा :-
भांग पावडर- 125-250 mg
गांजा पावडर- 60-125 mg
चरस- 30 mg
भाङ्ग-भज्यतेनया कफादि,भञ्जो आमर्दने !
उपयोग :-
1- मस्तक पीड़ा – इनके पत्रों को महीन पीसकर सूंघने से मस्तक पीड़ा नष्ट हो जाती हैं।
2- पाचन शक्ति मजबूत करता है।
3- निद्राकारक होता है।
4- दर्द निवारक के बहुत ही गुणकारी औषधीय है।
5- इसके बीज के तेल का मालिश करने से गठिया में लाभ होता है।
6- इसके पत्तों के चूर्ण को घाव और जख्म पर डालने से शीघ्र वग्र का रोपन होताहै।
विषेला प्रभाव:- अधिक मात्रा मे लेने से आँख लाल हो जाती है ।
हानि:- इसका अधिक मात्रा से सेवन से शरीर को दुर्बल, पुरुष को नपुंसक, चरित्रहीन, विचारहीन बनाता है। अतः इसका प्रयोग काम उत्तेजना के लिए या नशे के लिए नहीं करना चाहिए।
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